प्रेम की बरसात
अदभुत
मेघ भी भीगा
धरती भी
क्षण में कटे
सारे कर्म बंध
नाव बही
नदी भी
सुर कलश
बिखरा
राग बहे
बंसी भी
वो दो शब्द
तुम्हारे
आँख बह उठी
हँसी भी
प्रेम का
मुहूर्त ?
कभी भी
कहीं भी
अदभुत
मेघ भी भीगा
धरती भी
क्षण में कटे
सारे कर्म बंध
नाव बही
नदी भी
सुर कलश
बिखरा
राग बहे
बंसी भी
वो दो शब्द
तुम्हारे
आँख बह उठी
हँसी भी
प्रेम का
मुहूर्त ?
कभी भी
कहीं भी
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