Sunday, January 2, 2011

नया वर्ष

वीराने मरुथल को
नदिया की  कल कल जो
उत्सव स्वर देती है
नया वर्ष जीवन में
ऐसा उत्सव भर दे

तृष्णा की ऊष्मा को
अहम के उत्ताप को
नया वर्ष शीतल कर दे .