Tuesday, January 27, 2015

अनंत

तुम कभी अपना वादा तोड़ न पाओगे
क्योंकि मेरी श्रद्धा है अडिग

तुम मुझे कभी अलविदा कह न सकोगे
क्योंकि मेरी प्रतीक्षा है अनंत

तुम कभी मेरे सपने छीन न सकोगे
क्योंकि मेरी आँखों का बहाव है असीमित

तुम मुझे कभी हरा न पाओगे
क्योंकि मेरी झुकने की क्षमता है अनंत 

Friday, January 16, 2015

तुम्हारे प्रेम का नमक

जीवन की मिठास से उकता कर 
कभी तुम्हारे पास आकर 
प्रेम का नमक चखना 
अभी भी अच्छा लगता है।

मिलन

हमारे बीच जो ये अथाह सागर है
इसे मैं शायद कभी भर न पाऊंगा
पर कभी, भीग कर, पिघल कर
मिल जाऊँगा इसी सागर में
और उस पार तुम्हारे पैर की उँगलियों को छू लूंगा
मुझे और कोई मिलन न चाहिए।

जब तुम झुक कर किसी अनजान बच्चे
का माथा चूमोगी, वहां मैं ही होऊंगा। 

Friday, January 2, 2015

प्रेम का मुहूर्त

प्रेम की बरसात
अदभुत
मेघ भी भीगा
धरती भी

क्षण में कटे
सारे कर्म बंध
नाव बही
नदी भी

सुर कलश
बिखरा
राग बहे
बंसी भी

वो दो शब्द
तुम्हारे
आँख बह  उठी
हँसी भी

प्रेम का
मुहूर्त ?
कभी भी
कहीं भी