ये ज़रूरी नहीं कि मैं ही सही हूँ हर बार
ये लाज़िम है मगर कुछ और देर बात चलें।
तुम्हारे साथ होने की है हर सूरत मंज़ूर
न हों गर प्यार की बातें तो शिकायात चलें।
कुछेक दिलों का अँधेरा चलो रोशन कर दें
कुछेक घरों में पहली बार चिरागात जलें।
जवाब जिनके ढूँढने पड़ें रूह के भीतर,
अपने बारे में कुछ ऐसे भी सवालात चलें।
ये सफ़र यूं तो अकेले ही करेंगे पूरा ,
हाथ में हाथ दो, कुछ दूर साथ साथ चलें।
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