मैं दर्द सुनता तो हूँ,
दूर कहीं मंदिर की घंटियों की तरह
ये मेरा है या किसी और का
ये जान नहीं पाता ।
दूर कहीं मंदिर की घंटियों की तरह
ये मेरा है या किसी और का
ये जान नहीं पाता ।
मैं सपने देखता तो हूँ,
आसमान में उड़ते पंछियों की तरह
वो मेरे हैं या किसी और के
ये पहचान नहीं पाता ।
आसमान में उड़ते पंछियों की तरह
वो मेरे हैं या किसी और के
ये पहचान नहीं पाता ।
मैं प्यार करता तो हूँ
फूलों की फूटती मुस्कान की तरह
ये खुशबू किसको घेर लेगी
ये कह नहीं सकता।
फूलों की फूटती मुस्कान की तरह
ये खुशबू किसको घेर लेगी
ये कह नहीं सकता।